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Vegetable farming in Bihar

परंपरागत खेती छोड़ हरी सब्जी की खेती से किसान कर रहा अच्छी कमाई

परंपरागत खेती छोड़ हरी सब्जी की खेती से किसान कर रहा अच्छी कमाई

भारत में किसान परंपरागत खेती की जगह बागवानी की तरफ अपना रुख करने लगे हैं। आशुतोष राय नाम के एक किसान ने भी कुछ ऐसा ही किया है। कहा गया है, कि मार्च माह में उन्होंने बाजार से बीज लाकर तोरई और खीरे की बिजाई की थी। उन्होंने बताया था कि बुवाई करने से पूर्व उन्होंने खेत की बेहतर ढ़ंग से जुताई की गई थी।

 

आशुतोष ने इतने बीघे में तोरई और खीरे की खेती कर रखी है

बिहार के बक्सर जनपद में किसान परंपरागत खेती करने के साथ-साथ आधुनिक विधि से
सब्जी की भी खेती कर रहे हैं। इससे कृषकों को कम लागत में अधिक मुनाफा मिल रहा है। विशेष बात यह है, कि किसान एक ही खेत में विभिन्न प्रकार की सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। इनमें से आशुतोष राय भी एक उत्तम किसान हैं। इन्होने 2 बीघे भूमि में तोरई और खीरे की खेती कर रखी है। आशुतोष ने बताया है, कि उनके यहां विगत 20 साल से सब्जी का उत्पादन किया जा रहा है। हरी सब्जी विक्रय कर वह प्रतिवर्ष मोटी आमदनी कर लेते हैं।

 

आशुतोष खेती में जैविक खाद का ही इस्तेमाल करते हैं

मीड़िया खबरों के अनुसार, किसान आशुतोष राय का कहना है, कि उनके पिता जी और दादा जी पहले पारंपरिक ढ़ंग से खेती किया करते थे। इससे खर्च अधिक और लाभ कम होता था। परंतु, उन्होंने आधुनिक तकनीक से पारंपरिक फसलों के साथ- साथ बागवानी फसलों की भी खेती आरंभ कर दी है। इससे लागत में अत्यधिक राहत मिल रही है। आशुतोष की मानें तो वह अपने सब्जी के खेत में जैविक खाद का ही उपयोग करते हैं। इससे उनके खेत की सब्जियां हाथों- हाथ बाजार में बिक जाती हैं। 

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लगभग 2 महीने में हरी सब्जी की बिक्री शुरू हो गई

आशुतोष का कहना है, कि मार्च माह में उन्होंने बाजार से बीज लाकर तोरई और खीरे की बिजाई की थी। उन्होंने बताया कि बिजाई करने से पूर्व खेत को अच्छे ढ़ंग से जोता गया था। उसके बाद पाटा चलाकर मृदा को एकसार कर दिया गया। साथ ही, 6-6 फीट के फासले पर तरोई की बुवाई की गई। इसके साथ ही बीच-बीच में खीरे की भी बिजाई की गई। इस दौरान आशुतोष वक्त-वक्त पर सिंचाई भी करता रहा। लगभग 2 माह में हरी सब्जी की बिक्री चालू हो गई।

 

पारंपरिक फसलों के मुकाबले हरी सब्जी की खेती में ज्यादा मुनाफा है - आशुतोष

आशुतोष प्रतिदिन 10 रुपये किलो की कीमत से एक क्विंटल तोरई बेच रहे हैं। इससे उन्हें प्रतिदिन 10 हजार रुपये की आमदनी हो रही है। साथ ही, वह खीरा बेचकर भी अच्छा-खासा मुनाफा कर लेते हैं। आशुतोष के अनुसार तो 2 बीघे में सब्जी की खेती करने पर उनका 20 हजार रुपये का खर्चा हुआ है। साथ ही, रोगों से संरक्षण के लिए आशुतोष को कीटनाशकों का छिड़काव भी करना पड़ा है। इसके अतिरिक्त भी फसलों को व्हाईट फ्लाई रोग से काफी क्षति हुई है। आशुतोष राय ने बताया है, कि पारंपरिक फसलों की तुलना में हरी सब्जी की खेती में काफी ज्यादा मुनाफा है।

बैंक की नौकरी की बजाए सब्जियों की खेती को चुनकर किसान हुआ मालामाल

बैंक की नौकरी की बजाए सब्जियों की खेती को चुनकर किसान हुआ मालामाल

किसान विनय कुमार का कहना है, कि राज्य में फिलहाल कोल्ड स्टोर, पॉली हाउस, ग्रीन हाउस की काफी ज्यादा कमी है। यदि सरकार सब्सिडी देकर इनकी तादात बढ़ाती है, तो किसानों की आय में और बढ़ोतरी होगी। वर्तमान में खेती- किसानी भी किसी बिजनेस से कम नही है। भारत में बहुत सारे किसान खेती से लाखों नहीं, बल्कि करोड़ों रुपये की आमदनी कर रहे हैं। इसके लिए किसान पारंपरिक फसलों की अपेक्षा वैज्ञानिक तरीके से फूल, फल और सब्जियों की खेती कर रहे हैं। यही कारण है, कि अब खेती आहिस्ते-आहिस्ते व्यापार बन चुकी है। अब ऐसे में पढ़े- लिखे युवा भी खेती किसानी में काफी रुचि ले रहे हैं। आज हम तीन ऐसे दोस्तों के विषय में बात करेंगे, जो किराए पर भूमि लेकर सब्जी की खेती कर रहे हैं। इससे उन्हें काफी मोटी आमदनी हो रही है। अब ये तीनों दोस्त दूसरे लोगों को भी नौकरी दे रहे हैं।

ये तीनों दोस्त बिहार राज्य के पटना के रहने वाले हैं

विशेष बात यह है, कि ये तीनों दोस्त बिहार के पटना जनपद के निवासी हैं। ये तीनों पटना से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद बिहटा में लीज पर जमीन लेकर सब्जी की खेती कर रहे हैं। इन किसानों का नाम विनय राय, रंजीत मिश्रा और राजीव रंजन शर्मा है। ये तीनों प्रति वर्ष सब्जी बेचकर 50 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं। विनय राय का कहना है, कि आज से लगभग 9 साल पहले वे मुंबई में बैंक में नौकरी किया करते थे। परंतु, उनका सपना खेती करने का था। इस वजह से उन्होंने नौकरी छोड़कर साल 2014 में खेती करना चालू कर दिया। वह अपने गांव के दोस्तों के साथ मिलकर वैज्ञानिक विधि से सब्जियों की पैदावार कर रहे हैं।

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इनकी 50 बीघे सब्जियों की खेती में 20 से 25 मजदूर कार्य करते हैं

इनके खेत में प्रतिदिन तकरीबन 20 से 25 मजदूर कार्य करते हैं। मतलब कि इन तीनों दोस्तों ने खेती को व्यवसाय में तब्दील कर दिया है। अगर विनय नौकरी करते, तो केवल अपना और अपने परिवार का ही भरण पोषण कर पाते। परंतु, खेती से वे दूसरे लोगों को भी रोजगार के अवसर प्रदान कर रहे हैं। विनय राय ने बताया कि चार साल पहले उन्होंने खेती आरंभ की थी। सबसे पहले 10 बीघे जमीन में खीरा, ब्रोकली और गोभी की खेती की थी। इससे अच्छी आमदनी अर्जित हुई। इसके पश्चात वे आहिस्ते-आहिस्ते क्षेत्रफल बढ़ाते गए। अभी तीनों दोस्त 50 बीघे जमीन में हरी सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। ये तीनों दोस्त एक साल में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की सब्जियां बेचते हैं।

जानें ये कितनी आमदनी कर लेते हैं

विनय कुमार का कहना है, कि प्रदेश में फिलहाल कोल्ड स्टोर, पॉली हाउस, ग्रीन हाउस की बहुत कमी है। अगर सरकार अनुदान देकर इनकी तादात बढ़ाती है, तो किसानों की आय में और बढ़ोतरी होगी। साथ ही, विनय राय के 45 वर्षीय मित्र रंजीत मिश्रा का कहना है, कि वे एक खेत में वर्षभर के अंतराल में तीन फसल की खेती करते हैं। बतादें, कि ये लगभग 10 एकड़ में खीरा उगाते हैं। इसके अतिरिक्त तरबूज और खरबूज की भी खेती किया करते हैं। विगत वर्ष उन्होंने 25 लाख रुपए का पपीता विक्रय किया गया था। इसके अतिरिक्त ब्रोकली, गोभी और कद्दू बेचकर भी वो लाखों रुपये की आमदनी कर लेते हैं।